Basic Structure of C Program – Only 9 Sections.

Basic Structure of C Program: इस भाषा का विकास होने से पहले जितने भी Program बनाए जाते थे, वे सभी Assembly Language में बनाए जाते थे। Assembly Language में बनाए गए Programs की Speed काफी ज्यादा होती है, लेकिन इसकी एक कमी भी है। Assembly Language में Develop किया गया Program उसी Computer पर Execute होता है, जिस पर उसे Develop किया गया होता है। इसलिए एक ऐसी Programming Language की आवश्‍यकता हुई, जो कि Portable हो।

इस जरूरत के आधार पर सन्‌1960 में केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने एक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा का विकास किया, जिसका नाम “BASIC COMBINED PROGRAMMING LANGUAGE” यानी BCPL रखा गया। सन्‌ 1970 में केन थॉम्पसन ने इसमें कुछ परिवर्तन किये व सामान्य बोलचाल में इसे “B” भाषा नाम दिया। “C” का विकास अमेरिका में सन्‌ 1972 में हुआ। AT &T Laboratory के कम्प्यूटर वैज्ञानिक डेनिस रिची ने इस का विकास किया था।

”सी” एक शक्तिशाली भाषा है, जिसमें हम एप्लीकेशन सॉफ्‌टवेयरसिस्टम सॉफ्‌टवेयर दोनों तरह के सॉफ्‌टवेयर बना सकते हैं। इसमें सामान्य अंग्रेजी शब्दों के माध्यम से प्रोग्राम बनाए जाते हैं, जो कि समझने व बनाने में आसान होते हैं। यानी सूचनाओं के एक निश्चित क्रम में Program Run होता है।

Characteristics of “C”

“सी” अन्य कई भाषाओं से काफी सरल है। अन्य हाई लेवल भाषाओं की तुलना में “सी” काफी लचीली भाषा है। “सी” ही एक ऐसी भाषा है, जिसमें कम्प्यूटर के हार्डवेयर के साथ भी काम किया जा सकता है व मेमोरी मेनेजमेन्ट भी किया जा सकता है। सबसे बडी खासियत “सी” की पोर्टेबिलिटी है। यानी “सी” भाषा में लिखे गए प्रोग्राम किसी भी अन्य कम्प्यूटर वातावरण में चल सकते हैं।

”सी” एक हाई लेवल Structured Programming Language या Procedural Programming Language या Functional Programming Language है, यानी इसमें सभी काम विभिन्न प्रकार के Functions, Procedures या Structures ‌को यूज करके किया जाता है। ”सी” में कोई इनपुट आउटपुट ऑपरेशन नहीं है। ”सी” कम्पाइलर सभी इनपुट-आउटपुट का काम लाइब्रेरी फंक्‍शन के द्वारा करता है।

Block Structure of “C” Programs

Documentation Section
Link Section
Definition Section
Global Declaration Section
Main() Function Section
{
    Declaration Part
    Executable Part
}

Sub Program Section
   Function 1
   Function 2
   . . .
    Function n

Layout Structure of “C” Programs

1 /* Comment about the Program */
2 Including The Header Files
3 Global Variables Declaration
4 Main()
5 {
6  Local Variables Declaration
7  Necessary Statements   
8 }
9 Sub Program Functions
Function 1
Function 2
;
Function n

Documentation Section

प्रोग्राम के इस भाग में हम प्रोग्राम से सम्बन्धित कुछ बिन्दु टिप्पणी के रूप में लिखते हैं, ताकि प्रोग्राम किस कारण से बनाया गया है और प्रोग्राम की विशेषता क्या है, ये बताया जा सके। ये Documentation, Program का Flow समझने व बनाए रखने के लिए काफी उपयोगी होता है।

Link Section

यहां पर हम ”सी” प्रोग्राम की उन हेडर फाइलों को डिक्लेयर करते हैं, जिनकी हमारे प्रोग्राम में आवश्‍यकता है। चूंकि C Language एक Functional Programming Language है, इसलिए विभिन्‍न प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें विभिन्‍न प्रकार के Library Functions को उपयोग में लेना होता है और इन Library Functions को Header Files के रूप में C Compiler के साथ ही Provide करवाया जाता है। जिन्‍हें हम हमारे प्रोग्राम में उपयोग में लेने के लिए सम्‍बंधित Header File को C Program के Link Section में “#include” Statement के साथ Specify किया जाता है।

Definition Section

यहां उन User Defined Data Types को डिफाईन किया जाता है, जिन्‍हें हम हमारी जरूरत के अनुसार स्‍वयं Define करते हैं। यहीं पर हम हमारे स्‍वयं के User Defined Functions भी Define करते हैं अथवा उनका Prototype Define करते हैं।

Global Declaration Section

यहां Define किए जाने वाले Constants को सामान्‍यत: “#define” Statement के साथ Define किया जाता है, जिन्‍हें Global Constants भी कहते हैं, क्‍योंकि इन Constants को पूरे Program के दौरान कभी भी और कहीं पर भी उपयोग में लिया जा सकता है। Global Constants की तरह ही हमें जिन Variables को पूरे Program के दौरान Global तरीके से Use करना होता है, उन्‍हें इस Section में Declare करते हैं।

main() Function Section

यह फंक्‍शन हर ”सी” प्रोग्राम में होता है । कम्पाईल करते समय Program Control हमेंशा सबसे पहले main() Function को ही ढूंढता है और इसी Function का Execution शुरू करता है। हर ”सी” प्रोग्राम में सिर्फ एक ही main() Function हो सकता है व हर ”सी” प्रोग्राम में main() Function का होना जरूरी होता है, क्योंकि Program का Execution हमेंशा main() Function से ही शुरू होता है।

Opening Parenthesis ( { )

main() Function मिलने के बाद प्रोग्राम का एक्जीक्यूशन इसी मंझले कोष्‍ठक से शुरू होता है। यानी Opening Parenthesis ही किसी भी User Defined Function की शुरूआत को Represent करता है।

Declaration Part

प्रोग्राम में काम आने वाले सभी वेरियेबल्स्‌, कोंस्टेंट, ऐरे आदि को यहीं पर डिक्लेयर करना होता है। यहां पर हम जिसे भी डिक्लेयर करते हैं, उसके लिये ”सी” प्रोग्राम Execution के समय मेमोरी में जगह बना देता है,  जिन्हें बाद में अपनी आवश्‍यकता के अनुसार उपयोग में लिया जाता है।

हम जिन Variables व Constants यानी Identifiers को यहां Declare करते हैं, वे केवल Current Function के लिए ही उपयोगी व Accessible रहते हैं। Function की Body से बाहर यानी Opening व Closing Curly Braces के बाहर इन Identifiers को Access नहीं किया जा सकता क्‍योंकि Function की Body ही इन Identifiers का Scope होता है और Function के Closing Parenthesis के साथ ही इन Identifiers का Life Time या Visibility समाप्‍त हो जाता है।

Executable Part

यहां पर प्रोग्राम के वे सभी स्टेटमेंट्‌स होते हैं, जिनके द्वारा हम प्रोग्राम से कोई परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं। यही वह भाग होता है, जहां से User के लिये Interface का काम शुरू होता हैं। सामान्‍यत: Function के Declaration Part से लेकर Function के Closing Curly Brace तक के हिस्‍से को ही Executable Part के रूप में जाना जाता है।

Closing Parenthesis ( } )

प्रोग्राम में दूसरे मंझले कोष्‍ठक का प्रयोग वहां करते हैं, जहां पर प्रोग्राम या Function का अन्त करना होता है।

Sub-Program Section

Function 1;
Function 2;


Function n;

प्रोग्राम के इस भाग में यूजर डिफाइन फंक्‍शन होते हैं। एक main() प्रोग्राम में main() Function तो एक ही होता है लेकिन User Defined Function आवश्‍यकता के अनुसार कई हो सकते हैं। ये वे Functions होते हैं, जो किसी Header File में Exist नहीं होते, बल्कि इन्‍हें Programmer स्‍वयं अपनी जरूरत के अनुसार Define करता है और ये Function केवल Current Program के Scope तक ही सीमित होते हैं। यदि इन Functions को किसी अन्‍य Application Program में Use करना हो, तो या तो इन्‍हें Copy-Paste करना होता है या फिर इन्‍हें किसी Header File के रूप में Embed करने के बाद उस Header File को नए Application में Include करके इन User Defined Functions को फिर से उपयोग मे लिया जा सकता है।

इस प्रकार से किसी भी C Program के मूल रूप से 9 हिस्‍से होते हैं, हालांकि सभी Programs में सभी हिस्‍सों को Specify किया जाना जरूरी नहीं होता। लेकिन फिर भी किसी भी C Program में Link Section, main() Function, Opening and Closing Parenthesis व Executable Part का होना एक पूर्ण व Running C Program के लिए Compulsory रूप से जरूरी होता है।

तो क्‍या अब आप किसी C Program के विभिन्‍न हिस्‍सों को ज्‍यादा बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं? वास्‍तव में ये Article हमारी पुस्‍तक C Programming Language in Hindi से लिया गया है और यदि आपको ये जानकारी आसानी से समझ में आ रही है, तो इस पुस्‍तक के माध्‍यम से C Programming व Real Life Problems को Solve करने से सम्‍बंधित अन्‍य बातें बडी ही आसानी से सीख सकते हैं क्‍योंकि पूरी पुस्‍तक में ही विभिन्‍न Programming Concepts को इतनी ही सरल भाषा में लिखा गया है। (Basic Structure of C Program)

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