Advantages of OOPS Concepts: OOPS Program Designer व Program User दोनों के लिए कई सुविधाएं प्रदान करता है। OOPS द्वारा Develop किए जाने वाले Programs में निम्न विशेषताएं होती हैं-
- समस्या में Procedures के बजाए Data का महत्व है। यानी OOPS में Data को Primary Level पर रखा गया है और Data पर Perform होने वाले Operations के Functions को Secondary Level पर रखा गया है।
- Problem को Functions में विभाजित करने के बजाय Objects में विभाजित किया जाता है।
- Data Structure को इस प्रकार से Design किया गया है, जो कि Object को Characterize करते हैं।
- Data पर Perform होने वाले Operations के Functions को Object के Data Structure के साथ ही Combined कर दिया गया है, जिसे Encapsulation कहते हैं।
- Data को केवल Data के साथ Associate किए गए Functions ही Access कर सकते हैं, जिससे Data External Functions के लिए Hidden रहता है। इस प्रक्रिया को OOPS में Data Hiding कहते हैं।
- Objects आपस में Functions द्वारा Communication करते हैं। इस प्रक्रिया को Message Passing करना कहते हैं।
- आवश्यकता होने पर Object में नए Data व Data पर Perform होने वाले Operations को Add किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को OOPS में Inheritance कहते हैं।
- Program Design में OOPS के Approach को Bottom-Up Approach कहते हैं।
- Inheritance का प्रयोग करके एक Programmer बार-बार एक जैसी Coding लिखने से बच जाता है। वह एक बार लिखी गई Coding को बार-बार Reuse कर पाने में सक्षम हो जाता है। Coding को Reuse करने के कारण Programmer को Program Develop करने में कम समय लगता है और Program को Maintain करना सरल हो जाता है।
- चूंकि, OOPS में Program का Data पूरी तरह से Outer World से Hide रहता है। Data को Access करने के लिए अधिकृत Member Functions ही उस Data को Access करने में सक्षम होते हैं। चूंकि, Program के Data को कोई भी Unauthorized External Function Access करने में सक्षम नहीं होता है, इसलिए Accidental Modifications से Data सुरक्षित रहता है।
- एक ही Object के कई Instances बिना किसी Interference के एक ही Program में एक साथ Exist हो सकते हैं।
- Program को Objects में विभाजित करने के कारण Program Real World Concepts को Logically ज्यादा बेहतर तरीके से Computer में Represent करने में सक्षम होता है।
- OOPS पर आधारित Application को Upgrade, Modify व Change करना काफी सरल व सुविधाजनक होता है।
- बहुत ही जटिल समस्याओं के समाधान को भी OOPS Concept के आधार पर काफी आसान तरीके से Develop व Manage किया जा सकता है।
Object Oriented Languages
OOPS के Concepts को “C” या “Pascal” जैसी Procedural Languages में भी पूरी तरह से Implement किया जा सकता है। लेकिन जब हम “C” जैसी Procedural Language में OOPS के Concepts को Implement करने की कोशिश करते हैं, तब हमें कई अन्य Compiler सम्बंधित सीमाओं का सामना करना पडता है। जबकि “C++” जैसी OOPS को ध्यान में रख कर Design किए गए Compiler को Use करने पर हमें इस प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पडता। OOPS को Implement करने के सम्बंध में भी हम Programming Languages को दो भागों में बांट सकते हैं-
Object-Based Programming Language
Microsoft Company का Visual–Basic एक Object Based Programming Language है। इस प्रकार की Programming Languages Encapsulations व Object Identity को Support करता है। Object Based Programming Languages के मुख्य Features Encapsulation, Data Hiding व Access Mechanism, Objects का Automatically Initialize व Clear होना तथा Operator Overloading होते हैं। Object-Based Programming Languages Inheritance व Dynamic Binding को Support नहीं करते हैं। वे Languages जो Objects को Use करते हुए Programming सम्भव बनाती हैं, Object – Based Programming Languages कहलाती हैं।
Object-Oriented Programming Language
Object Oriented Programming में Object Based Programming के सभी Features Available होने के साथ ही इनमें Inheritance व Dynamic Binding की भी सुविधा होती है। “C++” एक Hybrid Language है, क्योंकि ये Procedural Programming के साथ-साथ Object Oriented Programming को भी Support करती है।
(Advantages of OOPS Concepts)
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C++ Programming Language in Hindi | Page: 666 | Format: PDF