Computer Architecture and Organization: How it Works?

Computer Architecture and Organization: जब हम Computer या किसी भी अन्‍य Device जैसे कि Mobile Phone, Tablet PC आदि से अपना मनचाहा काम करवाने के लिए कोई Program बनाना चाहते हैं,  तो सबसे पहले हमें उस Device के Architecture को समझना होता है, जिसके लिए हम हमारा Program Develop करना चाहते हैं। जबकि सामान्‍यत: सभी Digital Devices, Computer के Architecture को को ही Follow करते हैं। किसी भी Computer System के मुख्‍य-मुख्‍य तीन भाग होते हैं-

I/O Devices

वे Devices जिनसे Computer में Data Input किया जाता है और Application Software के Programs Codes या Set of Instructions के आधार पर Processing करने के बाद Computer से Information यानी Processed Data को Output के रूप में प्राप्त किया जाता है, I/O Devices कहलाती हैं। Keyboard एक Standard Input Device (stdin)  है और Monitor एक Standard Output Device (stdout) है।

जबकि CD, DVD, PEN Drive, Memory Card आदि द्वारा भी Computer System में Data को Input किया जा सकता है अथवा Computer से Return होने वाले Processed Data यानी Information को Secondary Storage के रूप में Use किया जा सकता है, इसलिए ये सभी Common रूप से Input व Output Devices भी हैं।

Center Processing Unit (CPU)

यह एक Microprocessor Chip होता है। इसे Computer का दिमाग भी कहा जाता है क्योंकि Computer में जो भी काम होता है, उन सभी कामों को या तो CPU करता है या Computer के अन्य Devices से उन कामों को करवाता है। इसका मुख्‍य काम विभिन्न प्रकार के Programs को Execute करना होता है। इस CPU में भी निम्न विभाग होते हैं जो अलग-अलग काम करते हैं:

Control Unit

इस Unit का मुख्‍य काम सारे Computer को Control करना होता है। CPU का ये भाग Computer की आंतरिक प्रक्रियाओं का संचालन करता है। यह Input/Output क्रियाओं को Control करता है, साथ ही ALU व Memory के बीच Data के आदान-प्रदान को निर्देशित करता है।

यानी CPU का यही भाग इस बात को तय करता है कि कोई Program किस प्रकार से Run होगा और किसी प्रकार से Run होने वाले Program के आधार पर Processed Data यानी Output Return करेगा। पूरे Computer System की Controlling करने का काम CPU का यही Unit करता है। वास्‍तव में हमारे Device का Operating System इसी Control Unit के माध्‍यम से ही पूरे Computer System की Working को Control करता है।

यह Program को Execute करने के लिए Program के Instructions को Memory से प्राप्त करता है और इन Instructions को Electrical Signals में Convert करके उचित Devices तक पहुंचाता है, जिससे Data पर Processing हो सके। Control Unit ALU को बताता है कि Processing के लिए Data, Memory में कहां पर स्थित हैं, Data पर क्या प्रक्रिया करनी है और Processing के बाद Data को वापस Memory में कहां पर Store करना है।

Arithmetic Logic Unit (ALU)

CPU के इस भाग में सभी प्रकार की अंकगणितीय व तार्किक प्रक्रियाएं होती हैं। इस भाग में ऐसा Electronic Circuit होता है जो Binary Arithmetic की गणनाएं करता है। ALU, Control Unit से निर्देश या मार्गदर्शन लेता है, Memory से Data प्राप्त करता है और परिणाम को या Processed Data को वापस Memory में ही Store करता है।

Registers

Microprocessor में कुछ एसी Memory होती है जो थोडे समय के लिए Data को Store कर सकती है। इन्हें Registers कहा जाता है। Control Unit के निर्देशानुसार जो भी Program Instructions व Data, Memory से आते हैं वे ALU में Calculation के लिए इन्हीं Registers में Store रहते हैं। जबकि ALU में Processing Perform हो जाने के बाद जो Processed Data Generate होता है, वह फिर से Memory में Store हो जाता है।

Memory

Memory Computer की Working Storage या कार्यकारी मेमोरी होती है। यह Computer का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। इसे RAM (Random Access Memory) भी कहते हैं। इसी में Process होने वाले Data और Data पर Processing करने के Program Instructions, दोनों Store होते हैं, जिन्हें Control Unit, ALU में Processing के लिए Registers में भेजता है। Processing के बाद जो सूचनाएं या Processed Data Generate होते हैं, वे भी Memory में ही आकर Store होते हैं।

Memory में Data को संग्रह करने के लिए कई Storage Locations होती हैं। हर Storage Location एक Byte की होती है और हर Storage Location का एक पूर्णांक Number होता है जिसे उस Memory Location का Address कहते हैं। हर Storage Location की पहचान उसके Address से होती है।

1 Byte की RAM में एक ही Character Store हो सकता है और इसमें सिर्फ एक ही Storage Location हो सकती है। इसी तरह 1 KB की RAM में 1024 Storage Locations हो सकती हैं और इसमें 1024 अक्षर Store हो सकते हैं। जो Memory जितने Byte की होती है उसमें उतने ही Characters Store हो सकते हैं और उसमें उतनी ही Storage Locations हो सकती हैं।

जिस तरह से किसी शहर में ढेर सारे घर होते हैं और हर घर का एक Number होता है। किसी भी घर की पहचान उसके घर के Number से भी हो सकती है। उसी तरह से Memory में भी विभिन्न Storage Cells होते हैं जिनका एक Unique Number होता है। हम किसी भी Storage Cell को उसके Number से पहचान सकते हैं और Access कर सकते हैं। हर Storage Cell के इस Unique Number को उस Storage Cell का Address कहते हैं।

जिस तरह से हम किसी घर में कई तरह के सामान रखते हैं और जरूरत होने पर उस घर से उस सामान को प्राप्त करके काम में ले लेते हैं, उसी तरह से Memory में भी अलग-अलग Storage Cells में हम अपनी जरूरत के अनुसार अलग-अलग मान Store कर सकते हैं और जरूरत पडने पर उस Data को प्राप्त कर के काम में ले सकते हैं।

Computer Architecture and Organization का Computer Programming Languages से काफी गहरा सम्‍बंध होता है और यदि आपको इस Article के माध्‍यम से Computer के Basic Architecture की बात ठीक से समझ में आती है तो आपको हमारी पुस्‍तक C Programming Language in Hindi के माध्‍यम से C Programming भी बडी ही आसानी से समझ में आएगी क्‍योंकि इस पुस्‍तक में हमने केवल C Programming Codes के विषय में ही जानकारी नहीं दी है बल्कि जहां पर भी जरूरी महसूस हुआ है वहां पर हमने Programming Codes के साथ Computer Architecture के विषय में भी सरल भाषा में पर्याप्‍त Discussion किया है। (Computer Architecture and Organization)

C Programming Language in Hindi - BccFalna.com ये Article इस वेबसाईट पर Selling हेतु उपलब्‍ध EBook  C Programming Language in Hindi से लिया गया है। इसलिए यदि ये Article आपके लिए उपयोगी रहा, तो निश्चित रूप से ये पुस्तक भी आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगी। 

C Programming Language in Hindi | Page: 477 + 265 | Format: PDF

BUY NOW GET DEMO REVIEWS