Difference between Assembler Compiler Interpreter: वर्तमान समय में ज्यादातर Programming Languages में Develop किए गए Programs, Assembler, Compiler या Interpreter के माध्यम से ही Native Machine Codes ममें Convert किए जाते हैं। ये तीनों वास्तव में एक प्रकार का Intermediate Software होते हैं, जो हमारे English Like Program Codes को Computer या किसी Digital Device जैसे कि Calculator, Mobile, Tablet, etc… के Machine Codes में Convert करने का काम करते हैं।
Assembler
सामान्यत: Assembly Language में लिखे प्रोग्राम को मशीनी भाषा में बदलने का काम Assembler करता है। ये एक एसा Software होता है, जो किसी Text File में लिखे गए विभिन्न Assembly Codes को Computer के समझने योग्य मशीनी भाषा में Convert करके Computer के CPU पर Process करता है। Computer का CPU उन Converted Codes को समझता है और हमें हमारा वांछित परिणाम उस भाषा में प्रदान करता है, जिस भाषा को हम समझ सकते हैं यानी CPU हमें हमारा Processed Result हमारे समझने योग्य English भाषा में प्रदान करता है।
Compiler and Interpreter
Compiler व Interpreter भी High Level Program Codes को मशीनी भाषा में बदलने का काम करते हैं। लेकिन दोनों के काम करने के तरीके में कुछ अन्तर हैं। Compiler पूरे प्रोग्राम को एक ही बार में मशीनी भाषा में बदल देता है व सारी की सारी गलतियों को एक ही बार में Programmer को दिखा देता है, जबकि Interpreter प्रोग्राम की हर लाइन को मशीनी कोड मे बदलता है और प्रोग्राम में जिस किसी भी Line की Coding में गलती होती है, Interpreter वहां पर एरर् दे देता हैं व आगे Interpret नहीं होता है।
अन्य शब्दों में कहें तो क्योंकि Compiler एक ही बार में पूरे Program को Machine Code में Convert कर देता है, इसलिए एक बार Source File के Compile हो जाने के बाद उस प्रोग्राम को दुबारा रन करने के लिए हमें उस Source File की जरूरत नहीं रहती। लेकिन Interpreter कभी भी अपनी Source File को पूरी तरह से Machine Code में Convert नहीं करता, इसलिए Interpreter Based Programs को जब भी रन किया जाता है, Interpreter को अपने Source Code File की फिर से जरूरत पडती है।
उदाहरण के लिए C Language एक Compiler Based Language है। इसलिए एक बार किसी C Program को Compile कर देने के बाद एक नई Executable File Create हो जाती है, जिसे बार-बार रन किया जा सकता है। परिणामस्वरूप एक बार किसी C Program को Compile कर देने के बाद यदि हम उस C Program की Source File को Delete भी कर दें, तब भी हम उस प्रोग्राम की Functionalities को उसकी Executable File द्वारा बार-बार प्राप्त कर सकते हैं।
लेकिन यदि हम कोई HTML File Create करते हैं, तो हम जब भी कभी उस HTML File को Web Browser के माध्यम से Interpret करते हैं, हमें उस HTML File के Source Code की बार-बार जरूरत पडती है। यानी यदि HTML Source Code File को Delete कर दें, तो Web Browser उसके बिना कोई Output Generate नहीं कर सकता। क्योंकि Interpreter हमेंशा Source Code को ही Interpret करते हुए हर बार फिर से Machine Code में Convert करता है, Compiler की तरह एक नई Native Executable File Create नहीं करता।
Programming अपने आप में काफी जटिल विषय है, इसलिए केवल Programming Concepts व Code/Syntax को समझ लेने मात्र से आप अच्छे Programmer नहीं बन सकते बल्कि आपको Programming से सम्बंधित कई और जरूरी बातों को जानना होता है, जैसाकि इस Article में Assembler, Compiler व Interpreter के बीच के आपसी अन्तर को Discuss किया गया है और Programming से इन जरूरी बातों को सामान्यत: वर्तमान समय में उपलब्ध कोई भी Programming Related Book में Discuss नहीं किया जाता। जिसकी वजह से Programming सीखने वाला Student केवल Programming Syntax ही सीख पाता है अन्य Related Concepts नहीं।
इस स्थिति में हमारी पुस्तक C Programming Language in Hindi आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है क्योंकि इस पुस्तक में न केवल Programming Related Code/Syntax को Discuss किया गया है, बल्कि इन Code/Syntax को Real Life Example Programs के माध्यम से Discuss किया गया है, जिससे Programming Syntax के साथ आपको Programming की उपयोगिता व सार्थकता का भी पता चलता है और आप ये भी समझ पाते हैं कि विभिन्न प्रकार के Professional Development में Programming Languages किस प्रकार से अपना Role Play करते हैं। (Difference between Assembler Compiler Interpreter)
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C Programming Language in Hindi | Page: 477 + 265 | Format: PDF