Entity Identifier Attribute: The key to identify each table record uniquely.

Entity Identifier Attribute: किसी Entity को Describe करने वाले विभिन्न Data को Database में Store करने का मुख्‍य Purpose यही है कि इन्हें बाद में किसी Information को Retrieve करने के लिए Use किया जाएगा। इसका मतलब ये हुआ कि हमें किसी ना किसी तरीके से किसी एक Entity को किसी दूसरे Entity से अलग Represent करना होगा ताकि हम इस बात के लिए Ensure हो सकें, कि हम जिस Entity के Data को प्राप्त करना चाहते हैं, हमें उसी Entity के Data प्राप्त होंगे।

उदाहरण के लिए मानलो कि Music Store के Database में Krishna नाम के दो Customers हैं। अब यदि Krishna नाम के Customer के Order की जानकारी प्राप्त करने के लिए Music Store में Searching की जाए, तो Music Store Application किस Krishna के Data Return करेगा?

चूंकि दोनों Customers के नाम समान हैं, इसलिए Music Store Application दोनों ही Customers के Orders की List को Display करेगा। क्योंकि हमारे इस Application में एसा कोई तरीका Use नहीं किया गया है, जिससे Music Store Application वांछित Customer के Orders की ही List Display करे। इस स्थिति में Music Store द्वारा Return किया जाने वाला Resultant Output Inaccurate होगा।

Music Store Application में इस समस्या के समाधान के रूप में हर Customer को एक Unique Customer Number प्रदान किया गया है और जब भी किसी Customer के Orders की जानकारी प्राप्त करनी होती है, तब उस Customer के नाम के स्थान पर उसके Customer Number का प्रयोग किया जाता है। Entities के Groups में से किसी Particular Entity को Identify करने का ये एक बहुत ही Common तरीका है, क्योंकि किसी भी Database में दो Customers को एक ही Customer Number प्रदान नहीं किया जाता है।

Particular Entity Instance को Identify करने के लिए हम एक दूसरा तरीका भी Use कर सकते हैं, जिसमें किसी Customer के First Name व Last Name को उसके Telephone Number के साथ परिभाषित कर सकते हैं।

किसी Entity के इन Attributes के Combination द्वारा भी Customer को Uniquely Identify किया जा सकता है। लेकिन इस तरीके में भी दो समस्याएं हैं।

पहली ये कि जब Identifier बडा व Tricky होता है, तब इसके किसी भी हिस्से को Database में Enter करते समय Mistakes हो सकती हैं।

दूसरी समस्या ये है कि किसी भी Customer का Phone Number Change हो सकता है, जिससे उस Customer का Identifier भी Change करना होगा और इस स्थिति में एक ही Customer के दो Identifier हो जाएंगे तथा एक ही Customer के दो Identifier होने की स्थिति में पैदा होने वाली समस्याओं के बारे में हम पहले ही पढ चुके हैं।

कुछ Entities जैसे कि Invoices आदि हमेंशा Natural Identifiers से Represent होते हैं, जिसे Invoice Number कहा जाता है। इस Invoice में Invoice Number का कोई विशेष अर्थ नहीं होता है, लेकिन फिर भी इस Invoice Number द्वारा किसी भी Invoice को Uniquely Identify किया जाता है। ठीक इसी तरह से हम किसी भी Entity को Uniquely Identify करने के लिए एक Meaningless Number का प्रयोग कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए किसी Customer को Identify करने के लिए हमें उसके किसी Attribute या Attribute के Combination को Use करने की जरूरत नहीं है। हम किसी Customer को एक Meaningless Number द्वारा भी Identify कर सकते हैं और जब हम एसा करते हैं, तब Customer चाहे कहीं भी रहे, उसके किसी भी Attribute में चाहे जो Changes आएं, उस Customer का Identifier Change नहीं होता और किसी Customer का Identifier Change होने की स्थिति में पैदा होने वाली परेशानियां भी Generate नहीं होती है।

हम जितनी बार भी किसी Entity के एक Instance को Database में Store करते हैं, हम यही चाहते हैं कि DBMS इस बात को Ensure करे कि हर नए Instance का एक Unique Identifier होगा। ये Concept Database Constraint का एक उदाहरण है।

Constraint एक एसा नियम या Rule होता है, जिसे Database Follow करता है। Database में विभिन्न प्रकार के Constraints को लागू कर देने पर Database उन Constraints या नियमों का पालन करता है, जिससे Database में Data के Accurately व Consistently Store होने की Guarantee हो जाती है। (Entity Identifier Attribute)

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Oracle 8i/9i SQL/PLSQL in Hindi | Page: 587 | Format: PDF

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