Field Record Table Database: Computer में विभिन्न प्रकार के Data को Store व Manage करने के लिए कुछ Standard तरीकों को उपयोग में लाया जाता है, ताकि Computer द्वारा किसी भी समय Accurate व Up-To-Date Information को प्राप्त किया जा सके। जिन Standard तरीकों को उपयोग में लेकर किसी समस्या से सम्बंधित Data को Manage किया जाता है, उन तरीकों के समूह को ही Database Management System कहा जाता है।
किसी एक समूह से सम्बंधित सूचनाओं को कम से कम जगह में Store करने व Manipulate करने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि उस “Group Of Information” को एक सारणी के रूप में Define किया जाए। एक सारणी किसी एक Group से सम्बंधित सूचनाओं को कम से कम जगह में व सबसे बेहतर तरीके से Store करने का सबसे अच्छा तरीका होता है।
उदाहरण के लिए मानलो कि हमें किसी School के विभिन्न Students की Information को Computer पर Manage करना हो, तो हम एक सारणी बनाकर उसमें विभिन्न Students की जानकारियों को छोटे-छोटे टुकडों के रूप में निम्नानुसार Store कर सकते हैं:
Sr_No | Name | Age | Sex | Class |
123 | Amit Sharma | 15 | Male | 10 |
234 | Rahul Varma | 16 | Male | 10 |
121 | Salini Bohra | 15m | Female | 9 |
544 | Silpa Roy | 14 | Female | 8 |
534 | Prince Mishra | 13 | Male | 6 |
532 | Devendra Bhati | 14 | Male | 9 |
यदि हम इस सारणी में Represent किए गए सभी Data को एक साथ एक Group के रूप में देखें, तो हम कह सकते हैं कि जिस Student का Serial Number 123 है, उसका नाम Amit Sharma है और उसकी उम्र 15 साल है। साथ ही वह Class 10th में पढता है। इसी तरह से हम इस सारणी में Represent किए गए अन्य Students की भी विभिन्न प्रकार की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं। Database Management System में इसी तरीके को उपयोग में लिया जाता है व समस्या से सम्बंधित इकाई की जिन जानकारियों को Computer द्वारा Manage करना होता है, उन जानकारियों को छोटे-छोटे टुकडों में Divide करके, उन्हें Logical Tables में Data के रूप में Store कर लिया जाता है।
जब हम Computer द्वारा किसी समस्या को Solve करना चाहते हैं, तब सबसे पहले हमें उस समस्या से सम्बंधित उन मुख्य Entities को Identify करना होता है, जिन्हें हम Computer पर Mange करना चाहते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम किसी Student से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की Information को Computer द्वारा Manage करना चाहते हैं, तो इस समस्या के लिए Student वह Entity होता है, जो कि हमारी समस्या से सम्बंधित होता है।
किसी समस्या में हमेंशा केवल एक ही Entity हो, एसा कभी भी जरूरी नहीं होता है। विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में किसी समस्या से सम्बंधित एक से ज्यादा प्रकार के Entities हो सकते हैं। दुनियां का कोई भी व्यक्ति, वस्तु या घटना किसी विशेष परिस्थिति में एक Entity के रूप में Identify हो सकता है।
जब एक Programmer किसी Business से सम्बंधित Data को Computer पर Manage करना चाहता है, तब वह जिस Organization के लिए Application Develop कर रहा होता है, उस Organization के आधार पर ये तय होता है कि उस Application से सम्बंधित मुख्य Entities कौन-कौन से हैं। चूंकि विभिन्न प्रकार के Organizations विभिन्न प्रकार के काम करते हैं, इसलिए किसी एक Organization के लिए जो व्यक्ति, वस्तु या घटना एक Entity के रूप में Represent होता है, वही व्यक्ति, वस्तु या घटना किसी दूसरे Organization के लिए भी एक मुख्य Entity हो, एसा जरूरी नहीं होता है।
उदाहरण के लिए किसी School में Teaching करवाने वाला Teacher उस School के Database Application के लिए एक Employee Entity होता है, लेकिन जब वही Teacher किसी Bank में अपना Account Open करवाता है, तब उस Bank के लिए वही Teacher एक Customer Entity हो जाता है।
जब हम Computer में किसी Entity को Represent करना चाहते हैं, तब हमें उस Entity की उन Characteristics को Identify करना होता है, जिन्हें हम Computer पर Manage करना चाहते हैं। ये Characteristics ही उस Entity को Computer में Represent करने के माध्यम होते हैं।
दुनियां के हर Object की अपनी कुछ विशिष्टताएं या लाक्षणिकताएं (Characteristics) होती हैं, जिनके कारण हम उस Object को किसी दूसरे Object से अलग पहचान पाते हैं। चूंकि किसी समस्या से सम्बंधित Entity भी इसी Real World का कोई ना कोई Object होता है, इसलिए उस Entity की भी अपनी कुछ Special Characteristics होती हैं, जिनसे उस Entity को Identify किया जा सकता है। Entity की इन Characteristics को सामान्यतया Attributes कहा जाता है और ये Attributes ही वे माध्यम होते हैं, जिनके द्वारा हम समस्या से सम्बंधित Entity को Computer में Represent करते हैं।
किसी भी Entity का Attribute, Information का वह सबसे छोटा हिस्सा होता है, जिसे Computer पर Store व Manage किया जाना होता है। इस Attribute को सामान्यतया Field कहा जाता है। इन Fields में हमेंशा किसी ना किसी प्रकार का मान यानी Data Store किया जाता है। किसी समस्या से सम्बंधित किसी एक Entity के जिन Attributes को Computer पर Mange करना होता है, उसी समस्या में उसी प्रकार के बहुत सारे Entities के लिए भी उन्हीं Attributes को Computer पर Manage करना होता है। इस स्थिति में समान Group के ढेर सारे Entities समान Attributes को Share करते हैं, जिन्हें Computer में Field द्वारा Represent किया जाता है। किसी समान Field को Share करने वाले सभी Entities के Group को Entity Set कहा जाता है।
अब हम एक उदाहरण द्वारा इस पूरी प्रक्रिया को समझने की कोशिश करते हैं। मानलो कि किसी School का Principal उसके School में पढने वाले सभी Students की जानकारियों को Computer पर Maintain करना चाहता है, ताकि जब भी उसे किसी Particular Student से सम्बंधित जानकारियों की जरूरत हो, वह उस Student का Serial Number उस Student Database Application Software Input करे और Computer उस Student से सम्बंधित सभी Information को Screen पर Display कर दे।
किसी भी Database System Application को Develop करने से पहले हमें सबसे पहले समस्या को अच्छी तरह से Analyze करके ये पता लगाना होता है कि आखिर उस System की मुख्य आवश्यकता क्या है और उस आवश्यकता को पूरा करने से सम्बंधित कुल कितने Entities हैं व वे Entities कौन-कौन से हैं? चूंकि हमारी इस समस्या को यदि हम ध्यान से देखें तो इस समस्या की मुख्य Requirement School के Students की Information ही है और समस्या से सम्बंधित मुख्य Entity भी Student ही है।
समस्या से सम्बंधित Entity का पता चल जाने के बाद हमें ये पता लगाना होता है, कि उस Entity से सम्बंधित किन बातों को Computer पर Maintain करना है। ये बातें ही उस Entity का Attributes होते हैं, जिन्हें Fields के रूप में Define किया जाता है। चूंकि हमारी इस समस्या में मुख्य Entity Student है और एक Student से सम्बंधित वे जानकारियां जिनका उपयोग एक School में किया जाता है, समस्या से सम्बंधित जानकारियां हैं। किसी Student की मुख्यतः निम्न जानकारियां हो सकती हैं, जिन्हें एक Computer पर Maintain करना School के Principal के लिए उपयोगी हो सकता है :
1 Student का नाम
2 Student के पिता का नाम
3 Student का Address
4 Student की City
5 Student का जिला
6 Student की Class
7 Student की Date of Birth
8 Student की School में Join करने की Date of Admission
9 Student की Age
10 Student का Serial Number
ये Description किसी भी Student की Information के उन छोटे-छोठे टुकडों (Attributes) को Represent करते हैं, जिनकी School के Principal को जरूरत हो सकती है। इन Descriptions के आधार पर हमें निम्नानुसार विभिन्न Fields प्राप्त हो सकते हैं:
1 SerialNumber
2 Name
3 FName
4 Address
5 City
6 District
7 Class
8 DateOfBirth
9 DateOfAdmission
10 Age
यदि हम इन जानकारियों के टुकडों को Combined रूप में देखें, तो ये सभी Files आपस में मिलकर किसी एक Student से सम्बंधित उन जानकारियों को Represent करते हैं, जिनकी एक School के Principal को जरूरत हो सकती है। ये सभी Fields हमारी समस्या से सम्बंधित Entity के उन Attributes को Represent करते हैं, जिन्हें Computer पर Store व Mange किया जाना है। यदि हम इन Fields को Title के रूप में Specify करें व इनके नीचे इनमें Store किए जाने वाले मानों (Data) को Specify करें, तो हमें निम्नानुसार Format प्राप्त हो सकता है, जो कि एक प्रकार की सारणी हैः
SrNo | Name | FName | City | Dist. | CLS | DOB | DOA |
001 | Rahul | Mohan Lal | Falna | Pali | 10 | 10-02-1982 | 15-7-1987 |
002 | Rohit | Sohan Lal | Bali | Pali | 09 | 11-12-1983 | 05-7-1987 |
003 | Krishna | Gopal | Desuri | Pali | 08 | 20-03-1981 | 10-7-1987 |
004 | Madhav | Ram La l | Falna | Pali | 10 | 30-2-1982 | 01-7-1987 |
005 | Achyut | Nand Lal | Desuri | Pali | 07 | 12-12-1986 | 13-7-1987 |
006 | Manohar | Rohan Lal | Bali | Pali | 10 | 10-11-1982 | 15-7-1987 |
इन जानकारियों के अलावा भी Student की विभिन्न प्रकार की अन्य जानकारियों को भी Store करके Manage किया जा सकता है। हम देख सकते हैं कि विभिन्न Students समान Attributes को Share कर रहे हैं, इसलिए Students के इस समूह को Entity Set कहते हैं। हमारे Entity Set में कुल 6 Students हैं। इस सारणी का हर Column किसी Student के किसी एक Attribute के मान को Represent कर रहा है। उदाहरण के लिए Name Column हर Student का केवल नाम Specify करता है, इसी तरह से DOB Column हर Student का Date Of Birth Specify कर रहा है। ये विभिन्न Columns किसी Student Entity के विभिन्न Attributes या Fields को Specify कर रहे हैं।
इस सारणी के आधार पर यदि हम SrNo 001 वाले Student की जानकारी प्राप्त करना चाहें, तो हमें Left To Right चलते हुए इस Serial Number वाले Student का नाम Rahul प्राप्त होता है, जिसके पिता का नाम Mohan Lal है और वह Falna नाम की City में रहता है। इस City का District Pali है और वह Class 10th में पढता है। Rahul की Date Of Birth 10 Feb 1982 है और उसने इस School में 15 July 1987 को Admission लिया है। यानी हम इस सारणी के आधार पर कह सकते हैं कि इस सारणी के सभी Fields आपस में Logically Related हैं, इसी कारण से सभी Fields आपस में मिलकर किसी एक Student से सम्बंधित सभी जानकारियां प्रदान कर रहे हैं।
जब बहुत सारे Fields जो कि आपस में Logically Related हों, तो मिलकर किसी एक Entity से Related विभिन्न प्रकार की जानकारियां Provide करते हैं, तो Logically Related Fields के इस Group को एक Record कहा जाता है। यानी यदि हम पिछली सारणी के आधार पर कहें तो इस सारणी का हर Row एक Unique Student के Record को Specify कर रहा है। किसी Record को Database Management System की भाषा में Tuple कहा जाता है।
जब किसी समस्या में एक से अधिक Entities Involved होते हैं, तब उन सभी Entities के Attributes को इसी प्रकार से प्राप्त किया जाता है और इसी प्रकार से एक Table द्वारा हर Entity को Represent किया जाता है।
सारांश में कहें तो हम कह सकते हैं कि किसी समस्या से सम्बंधित विभिन्न Entities की जिन विशेषताओं को Computer में Store करना होता है, उन विशेषताओं को Entity का Attribute कहा जाता है, जिसे Database Management System की भाषा में Field कहा जाता है। किसी Entity के Attributes (Data Fields) का वह समूह जो कि आपस में Logically Related होते हैं, किसी एक Entity से सम्बंधित विभिन्न सूचनाओं को Specify करते हैं। इन Logically Related Fields के समूह को Record कहा जाता है, जो किसी Entity के उन Data को Specify करता है, जिन्हें Computer पर Store व Manage किया गया होता है। जब एक ही प्रकार के बहुत सारे Entities यानी Entity Set के Data को Computer पर Store व Manage किया जाता है, तब इस Entity Set के समूह को Table या Entity या Database Mange System की भाषा में Relation हा जाता है।
यानी सरल शब्दों में कहें तो Fields के समूह को Record कहते हैं। Records के समूह को Table कहते हैं और Tables के समूह को Database कहते हैं। (Field Record Table Database)
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Oracle 8i/9i SQL/PLSQL in Hindi | Page: 587 | Format: PDF