IP Address for Unique Identification – Internet के लिए Standards Define करने के अलावा एक और सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, जिसके अन्तर्गत Internet से Connect होने वाले प्रत्येक Device को एक Unique Name व Address Assign करना होता है और इस काम को InterNIC (Internet Network Information Center) नाम की संस्था द्वारा Perform किया जाता है, जो कि स्वयं निम्नानुसार तीन अलग Organizations का समूह है-
- General Atomics, CA जो कि Information Services Provide करता है।
- AT&T, NJ जो कि Directory and Database Services Provide करता है। और
- Network Solutions, VA जो कि Registration Services Provide करता है।
InterNIC Group द्वारा जो Services Provide की जाती हैं, वे स्वयं Internet में Available होती हैं। इसलिए जो भी Local Network Internet से Connect होता है, वह अपने Network को स्वयं Maintain करने में सक्षम होता है और अपने Network के लिए User Policies व Procedures को अपनी स्वयं की इच्छानुसार तय कर सकता है।
यानी स्वयं Local Network का Owner इस बात को तय कर सकता है कि उसके Network के विभिन्न Users किस हद तक Network को Access कर सकते हैं, किस तरह की Services को Use कर सकते हैं, कितने Bandwidth को Use कर सकते हैं आदि।
InterNIC (Network Information Center) 1993 से 1998 तक Internet को Govern करने वाली मुख्य संस्था थी और इस अवधि में जितने भी Domain Names Allocate किए गए उन्हें इसी संस्था के Network Solutions नाम के एक हिस्से ने Allocate किया था। जबकि 1998 के बाद से इस Responsibility को ICANN (Internet Corporation for Assigned Name and Numbers) नाम की संस्था निभा रहा है। साथ ही यही संस्था Internet के अन्य Unique Features जैसे कि IP Address, Internet Protocols, Protocol Ports व Parameter Numbers को भी Control करने का काम करता है ताकि पूरा Internet यानी Web Infrastructure बिना किसी परेशानी के Normal तरीके से Working रह सके।
यानी Internet को Normal तरीके से चलने के लिए एक Globally Unified Namespace या अन्य शब्दों में कहें तो ऐसे Unique Identification Environment को Maintain करने की जरूरत होती है जो कि दुनियां भर में समान रूप से Applied हो और ऐसा तभी हो सकता है जबकि Internet की सम्पूर्ण व्यवस्था को किसी एक ही संस्था द्वारा Manage व Maintain किया जाता है और ICANN वही संस्था है।
उदाहरण के लिए जब भी कोई Device Internet से Connect होता है, तो उस Device को पूरे Internet Infrastructure में Uniquely Identify करने के लिए एक Address Assign किया जाता है, जिसे IP Address कहते हैं। इस IP Address के माध्यम से ही Internet पर Connected दो अलग Devices को एक दूसरे से Uniquely अलग Identify किया जाना सम्भव हो पाता है और प्रत्येक Device को Uniquely Identify किया जाना इसलिए जरूरी होता है, ताकि जो User जिस Resource के लिए Web पर Request Perform करे, उस Request का Response उसी User को प्राप्त हो।
यदि हम इसी बात को सरल शब्दों में कहें, तो जब आप किसी व्यक्ति को Phone Call करते हैं, तब आप जिस व्यक्ति से बात करना चाहते हैं, आपकी बात उसी व्यक्ति से होनी चाहिए किसी और से नहीं। ठीक इसी तरह से जिस व्यक्ति को आपने Call किया है, उस व्यक्ति द्वारा जो Response दिया जाता है, वो Response आपको ही प्राप्त होना चाहिए किसी तीसरे व्यक्ति को नहीं और ऐसा तभी हो सकता है, जबकि आप दोनों एक Unique Line पर बात कर रहे हों और आप दोनों एक Unique Line पर बात करने के लिए जिस Phone नाम की Device को Use कर रहे होते हैं, उसका एक Unique Number होता है, जो दुनियां में किसी भी दूसरे व्यक्ति के Phone का नहीं होता।
इसीलिए आप जिस व्यक्ति के Phone Number को Dial करते हैं, आपका “Hello” उसी व्यक्ति के Phone पर पहुंचता है और Response के रूप में उस व्यक्ति द्वारा जो “Hello” किया जाता है, वह आपके Phone पर ही पहुंचता है क्योंकि आप दोनों के Phone का Number पूरी तरह से Unique है।
ठीक इसी तरह से जब आप अपने Mobile Phone या Computer को Internet से Connect करते हैं, तब आप वास्तव में Internet से Connected अन्य Devices पर Stored Resources को Access करना चाहते हैं। ऐसे में आपका Device, जिस अन्य Device के साथ Communication करना चाहता है, उस Device के IP Address को Use करते हुए उसे ठीक उसी तरह से Connection Establish करने हेतु Request करता है, जिस तरह से आप किसी व्यक्ति को उसका Phone Number Dial करते हुए Call करते हैं और Connection Establish होने के Response में वह दूसरा Device ठीक उसी तरह से आपके Device को Response Send करता है, जिस तरह से सामने वाला व्यक्ति आपके Phone Call को Receive करते हुए आपको “Hello” कहता है।
यानी IP Address एक प्रकार से आपके Device का एक Unique Number होता है, जिसके माध्यम से वह Internet के अन्य Devices के साथ Connection स्थापित करने की क्षमता प्राप्त करता है और Internet से Connect होते ही आपके Device को जिस Organization द्वारा ये IP Address Assign किया जाता है, उसी का नाम ICANN है। लेकिन ICANN स्वयं अपने आप में एक Single संस्था नहीं है बल्कि ये भी कई स्वतंत्र Distributed Networks का Combination है और अलग-अलग देशों के सदस्य इसमें शामिल हैं, ताकि Internet को Globally Unified Environment Provide किया जा सके।
अब आप समझ गए होंगे कि किस प्रकार से Internet को विभिन्न लोगों द्वारा अपने-अपने स्तर पर Participate करते हुए Form किया जाता है और कुछ Specific संस्थाओं द्वारा Internet को Normal तरीके से Working रखने के लिए Standards बनाए जाते हैं तथा Internet पर Connect होने वाली प्रत्येक Device को एक Unique Connection Number Allocate किया जाता है, ताकि वह Device भी अन्य Devices की तरह ही Internet का हिस्सा बन सके। लेकिन फिर भी किसी Individual Person, Organization या Country का Internet पर पूर्ण अधिकार नहीं होता बल्कि सभी का समान अधिकार होता है।
जब Internet नया-नया था, तब काफी सीमित भी था, इसलिए उसे Control व Manage करना भी आसान था। लेकिन वर्तमान समय में Internet दुनियां का सबसे बडा Network है और Internet को Administrator व Regulate करने के लिए जिन Policies को बनाया गया था, वे अब Internet को Manage करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हैं।
इसीलिए अब धीरे-धीरे विभिन्न देशों की सरकारें Internet पर थोडा-बहुत नियंत्रण करने लगी हैं और इस बात को तय करने लगी हैं कि उनके देश में Internet पर उपलब्ध किन Contents को देखा जा सकेगा और किन्हें नहीं। इसी तरह से किन Services को Use किया जा सकेगा और किन्हें नहीं।
उदाहरण के लिए China में Google पूरी तरह से Ban है और Google के स्थान पर China में Biadu नाम के Search Engine को Use किया जाता है, जो कि स्वयं China में ही Develop किया गया है। इसी तरह से कई और देश हैं, जो विभिन्न प्रकार की Sites व Services को Block कर रही हैं, ताकि उनके देश के Users उन Blocked Contents को किसी भी तरह से Access न कर सकें।
विभिन्न देशों की सरकारें Internet पर Control करने में सक्षम हैं क्योंकि सारे देश में Telephone Lines बिछाने अथवा Satellite के माध्यम से सारे देश में Internet की सुविधा Provide करने का काम विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा ही किया जाना सम्भव हो सकता है क्योंकि ये बहुत ही बडे व खर्चालु Projects होते हैं जिन्हें कोई आम आदमी या संस्था Afford ही नहीं कर सकता, इसलिए किसी देश के लोग Internet के किस हिस्से को Access कर सकेंगे और किन Services को Use कर सकेंगे, ये बात पूरी तरह से उस देश की सरकार के Control में होता है।