How Web Browser Communicates with Web Servers

वर्तमान समय में मूल रूप से IISApache नाम के दो Web Servers सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाते हैं। IIS, Windows Operating System के लिए Microsoft Company द्वारा बनाया गया Web Server है, इसलिए इस पर Microsoft Technology की Programming Languages जैसे कि ASP या ASP.NET में बनाए गए Web Applications ज्यादा आसानी व सुविधापुर्ण तरीके से Run होते हैं। जबकि Apache, Linux के लिए Develop किया गया Web Server है, जो Server Side Scripting Language के रूप में Perl, PHP आदि को ज्यादा बेहतर तरीके से Access करता है।

Server Side की Scripting Language के रूप में सामान्यतया ASP, PHP, JSP आदि का प्रयोग किया जाता है, जबकि Website से संबंधित Data को जिस Software में Store किया जाता है, उसे (DBMS) Database Software कहा जाता है, जो कि सामान्यतया MSSQL, MySql आदि होता है।

Client Side से आने वाले Data को किस प्रकार से Process करना है, इस बात का निर्णय Server Side Scripting Language लेता है और Data को Process करने के बाद उसे जहां Store किया जाता है, वह DBMS Software होता है लेकिन Scripting Language द्वारा आने वाले Data को DBMS Software में Store व Manage कैसे करना है, इस बात का निर्णय पूरी तरह से DBMS Software लेता है।

चूंकि Internet पूरी तरह से Client-Server Architecture Technology पर आधारित है, जिसके हमेंशा दो और थोडा और गहराई में जाने पर तीन हिस्से होते हैं, जिन्हें 2-Tier3-Tier Architecture कहा जाता है।

2-Tier Architecture में मूल रूप से ClientServer होते हैं, जिनके बारे में आप उपरोक्त Discussion द्वारा अच्छी तरह से समझ गए होंगे। जबकि 3-Tier Architecture में Client व Server के अलावा एक Business Tier या Logic Tier भी होता है, जो कि विभिन्न प्रकार के Business Logics को Handle करता है। सामान्यतः ये तीसरा Tier, DBMS Software का हिस्सा होता है और Client Tier व Server Tier के बीच में अपना Role Play करता है।

चलिए, अब हम उपरोक्त Discussion को सारांश के रूप में एक बार Revise करते हुए समझते हैं कि क्या और कैसे होता है?

  • सबसे पहले User किसी Web Site का Address Web Browser के Address Bar में Place करके Enter Key Press करता है अथवा किसी Web Site के HTML Page पर दिखाई देने वाले Link पर Click करता है।
  • Web Browser User द्वारा Specified URL को Web Server पर भेजता है और उस Resource के लिए Web Server से Request करता है।
  • Web Server, Web Browser से आने वाले Request को Identify करता है और देखता है कि वह Resource कोई Static Web Page है या Dynamic Web Page है।
  • यदि Requested Resource Static Web Page होता है, तो Web Server उस Resource को Specified URL के अनुसार अपने Web Host पर Search करता है और Resource मिल जाने की स्थिति में वह Resource फिर से Web Browser को भेजते हुए Request को पूरा करता है।
  • जबकि Resource के Host पर Available न होने की स्थिति में एक Error Return करता है, जो इस बात को Specify करता है कि Specified Resource Host पर Available नहीं है।
  • यदि Requested Resource Dynamic Web Page होता है, तो Web Server उस Resource को Specified URL के अनुसार अपनी Scripting Language पर Parsing के लिए भेजता है।
  • यदि Windows का Web Host हो, तो Scripting  Language के रूप में सामान्यतः ASP या ASP.NET Language आने वाली Request को Process करता है जबकि यदि Linux का Web Host हो, तो PHP, Perl जैसी Scripting Languages आने वाली Request की Processing करते हैं।
  • यदि Data को Store या Access करने के लिए Server Side में किसी DBMS Software को Use किया गया हो, तो Scripting Languages अपने Associated DBMS Software पर Data को Store या Access करने के लिए DBMS Software से Request करता है।
  • DBMS Software, Scripting Language द्वारा आने वाली Request को Fulfill करने के लिए अपने Business Tier में Specify किए गए Business RulesIO Rules को Data पर Apply करता है और Business Rules व IO Rules के पूरी तरह से Satisfy होने की स्थिति में Scripting Language को Requested Data Return करता है अथवा आने वाले Processed Data को DBMS Software में Store करके Scripting Language को इस बात की जानकारी देता है कि उसने अपना काम पूरा कर दिया है।
  • जबकि यदि DBMS Software पर आने वाली Request से DBMS Software के Business Tier पर Specified किसी तरह का Business या IO Rules का Violation मिलता है, तो DBMS Software, Scripting Language को एक Appropriate Error Message Return करता है।
  • दोनों ही स्थितियों में Scripting Language को DBMS Software से कोई Output मिलता है, जिसके आधार पर वह अपना Resultant Web Page Reformat करता है और Web Server को इस बात का Instruction देता है कि वह Web Browser द्वारा Requested Resource को Serve कर सकता है।
  • Scripting Language से Formatted Resultant Web Page तैयार हो जाने की जानकारी मिल जाने के बाद Web Server उस Resultant Web Page को फिर से Web Browser को Return कर देता है।
  • Web Browser, Web Server से आने वाले Resultant Web Page को फिर से Render कर देता है। सबसे पहले Web Browser आने वाले Web Page के HTML Codes के अनुसार Web Page को Structure करता है। फिर उस पर विभिन्न Inline व Outline CSS Rules Apply करता है और अन्त में JavaScript के Behaviors को Apply करके User के सामने Interactive Web Page Render कर देता है।

इस प्रकार से User द्वारा एक Request पूरी होने में उपरोक्त सभी Steps Follow होते हैं। चूंकि Static Web Page की Request पूरी होने में Dynamic Web Page की तुलना में कम Steps Follow होते हैं, इसलिए Static Site की Speed, Dynamic Site की Speed से हमेंशा कम होती है।

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