Object Oriented Programming Approach

Object Oriented Programming Approach: Object Oriented Language के पीछे का मूलभूत विचार ये है कि एक Program में Data और उस Data पर काम करने वाले Functions को Combine करके एक Unit के रूप में ले लिया जाए। इस Unit को Object कहा जाता है।

एक Object के Operations यानी Data पर काम करने के लिये लिखे गए Function को “C++” में Member Function कहा जाता है क्योंकि ये किसी Object के किसी अमुक Class से सम्बंधित होते हैं, जो कि किसी Data को Access करने का एक मात्र माध्यम होते हैं।

यानी यदि आप किसी Object के अन्दर रखे किसी Data को Read करना चाहते हैं, तो आपको इसी Object के अन्दर लिखे उस Member Function को Call करना पडता है, जिसे उस Object के Data को Access करने के लिये ही लिखा गया है। यही एक Function होता है, जिसकी मदद से आप उस Object के Data को Read कर सकते हैं। आप सीधे ही Data के साथ किसी प्रकार की प्रक्रिया नहीं कर सकते हैं, क्योंकि Data Hidden रहता है। इसलिये किसी प्रकार से अचानक हुए परिवर्तन से Data सुरक्षित रहता है।

Data व Data को Access कर सकने वाले Member Function का एक साथ एक ही Unit के रूप में होना Encapsulation कहलाता है। Data का Hidden रहना यानी Data HidingEncapsulation Object Oriented Programming का मूल तथ्य या Key Terms है।

यदि आप किसी Data को Modify करना चाहते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि कौनसा Function उस Data पर काम करेगा यानी Object का वह Member Function जिसे Data के साथ लिखा गया है। कोई भी अन्य Function उस Data को Access नहीं कर सकता है।

ये तरीका Program को लिखना, Debug करना व Maintain करना आसान बनाता है। एक “C++” का प्रोग्राम ढेर सारे विभिन्न प्रकार के Objects का बना होता है, जो कि अपने-अपने Member Functions के द्वारा आपस में Communication करते हैं।

“C++” व कई अन्य OOP Languages में Member Functions को Methods कहा जाता है और Data Item को Instance Variable कहा जाता है। इसी तरह से किसी Object के Member Function को Call करना उस Object को Message Send करना कहलाता है।

OOPS के विचार को ठीक तरह से समझने के लिये हम एक उदाहरण लेते हैं। मानलो एक बडा प्रीति-भोज (Party) समारोह है, जिसमें सभी मेहमान किसी Dining Table के चारों ओर बैठे हैं। किसी Table के चारों ओर बैठे लोगों को हम Functions मान सकते हैं जो कि खाना खाने का काम करते हैं और जो भी खाना Table पर रखा है, उसे Data कह सकते हैं।

जब भी किसी मेहमान को Table पर रखे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में से कुछ लेना होता है, तो वह स्वयं ही उस व्यंजन तक पहुंचता है और उसे उपयोग में ले लेता है, किसी पडौसी मेहमान से कोई भी व्यंजन Pass करने के लिये नहीं कहता। Procedural Program का भी यही तरीका होता है।

ये तरीका तब तक बहुत ठीक है जब तक कि खाना खाने वाले मेहमानों की संख्‍या सीमित हो। लेकिन यदि मेहमानों की संख्‍या काफी ज्‍यादा हो तो ये तरीका ठीक नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि जब मेहमान अधिक होंगे तो Table भी बडा होगा और खाने के विभिन्न सामान पूरे Table पर काफी दूर-दूर होंगे। ऐसे में यदि कोई मेहमान किसी दूर रखे व्यंजन तक पहुंचना चाहे, तो हो सकता है कि उसके Shirt की Sleeves किसी दूसरे मेहमान के खाने में चली जाए या कई मेहमान एक साथ किसी व्यंजन पर हाथ बढाएं और व्यंजन Table पर गिर कर खराब हो जाए। यानी यदि मेहमानों की संख्‍या काफी ज्यादा हो तो एक ही Table पर भोजन करना एक परेशानी वाला काम होगा। एक बडे Procedural Program में भी यही होता है।

इस समस्या के समाधान के रूप में यदि कई छोटे-छोटे Tables हों और उन पर एक सीमित मात्रा में मेहमान हों और सबके पास उनका अपना भोजन हो, तो ये एक अच्छी व्यवस्था हो सकती है। इस छोटे Table पर सभी मेहमान किसी भी व्यंजन पर आसानी से पहुंच सकते हैं जिससे किसी भी प्रकार की परेशानी Create नहीं होती है। यदि कोई मेहमान किसी अन्य Table पर रखे किसी व्यंजन को लेना चाहता है तो सम्भवतया वह किसी अन्य मेहमान से उस व्यंजन को लाने के लिये कह सकता है।

ये Object Oriented Programming Approach का है, जिसमें हरेक छोटी Table को एक Object कहा जा सकता है। हरेक Object में उसका स्वयं का Data और Function होता है, उसी प्रकार से जिस प्रकार से हरेक Table पर अलग मेहमान होते हैं और हरेक Table पर अपना अलग खाना होता है।

Data  Functions के बीच होने वाले विभिन्न लेन-देन अधिकतर Object के अन्दर ही होते हैं लेकिन आवश्‍यकतानुसार ये भी सम्भव है कि किसी अन्य Object के Data को भी Use किया जा सके। इस तरह से किसी बडे Procedural Program को छोटे-छोटे Object के रूप में व्यवस्थित करके ज्यादा अच्छी तरह से Program को Maintain किया जा सकता है। (Object Oriented Programming Approach)

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C++ Programming Language in Hindi | Page: 666 | Format: PDF

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