RFC and Standardization

RFC and Standardization – हालांकि Internet के रूप में Participate करने वाले विभिन्न अंग (User, Telephone Company, etc…) Internet को विकसित करने में Directly या Indirectly अपना Role बेहतर तरीके से Play करते हैं लेकिन फिर भी Internet से Connect हो सकने वाली विभिन्न Devices को विभिन्न देशों में विभिन्न Companies बनाती हैं जिनके बीच आपस में कोई Standard नहीं होता। ऐसे में Internet से सभी प्रकार की Devices को Connect करना व सभी को समान रूप से एक दूसरे के साथ Communication करने लायक बनाना सम्भव ही नहीं है। क्‍योंकि Different Company समान Device को भी Different Technology Use करते हुए बना सकती है और ऐसे में एक ही Device का सभी प्रकार से समान होना नामुमकिन है।

उदाहरण के लिए Mobile Phone का काम दो लोगों के बीच Communication स्थापित करवाना ही होता है लेकिन उसी एक Mobile Phone Device को जब Tata, Reliance, NokiaSamsung सभी अलग-अलग तरीके से बनाते हैं जिनमें किसी भी स्थिति में 100% समानता हो ही नहीं सकती। ऐसे में जब ये सभी Devices Internet का हिस्सा बनेंगे, तो कोई इस बात की गारन्टी नहीं दे सकता कि ये Devices आपस में एक दूसरे के Data को Share कर सकेंगी, जबकि सभी Devices मूल रूप से Mobile Phone ही हैं।

इसलिए जरूरी होता है कि Internet पर Connect होने वाली सभी Devices अपना एक Standard Maintain करें, ताकि उनके बीच बिना किसी तकनीकी परेशानी के Internet के माध्‍यम से Normal तरीके से Communication स्थापित हो सके और इसीलिए Internet पर विभिन्न Devices के बीच Connection स्थापित कर Resource Sharing को परेशानीमुक्त बनाए रखने हेतु Standard Maintain करने के लिए कुछ Group यानी संगठन बनाए गए जिसे Internet के शुरूआती समय में IAB (Internet Architecture Board) नाम दिया गया था और बाद में ARPA द्वारा इसे Internet Activities Board कहा गया। इस IAB को निम्नानुसार मुख्‍यत: दो हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है-

  • IETF (Internet Engineering Task Force)
  • IRTF (Internet Research Task Force)

IETF व IRTF दोनों में केवल एक ही Basic अन्तर है कि IETF Internet से सम्बंधित Short Term Research Issues Related Standards Define करने पर Focus करता है, जबकि IRTF Long Term Research Issues Related Standards Define पर Focus करता है।

IETF के अन्तर्गत Network Designers, Operators, Vendors तथा वे Researchers होते हैं, जो कि Internet Architecture के Development व उसके Smooth Operations के लिए जिम्मेदार होते हैं।

IETF के अन्तर्गत जो लोग होते हैं वे ही Internet से सम्बंधित विभिन्न Standards Define करते हैं और इन Standards को Define करने के लिए Documentation Create करते हैं, जिसे RFC (Request For Comments) कहा जाता है।

ये एक ऐसा Document होता है, जो लोगों के लिए के लिए हमेंशा Open रहता है और लोग इस Document को पढ़कर इस पर अपना Comment दे सकते हैं। परिणामस्वरूप लोगों के Comments के आधार पर इस बात को निश्चित किया जाता है कि Internet के भविष्‍य की दशा व दिशा क्या होगी।

Internet बहुत सारे ProtocolsConventions पर आधारित है और प्रत्येक Protocol को एक Technical Publication Document के रूप में Explain किया जाता है जिसे RFC कहते हैं। यानी RFC एक ऐसा Detailed Technical Explanation होता है जो इस बात को Describe करता है कि कोई Concept किस तरह से काम करेगा।

प्रत्येक RFC का एक Number होता है और कोई भी व्‍यक्ति इसे पढ़कर सम्बंधित Concept के विषय में अपने Comment दे सकता है। जो Technical Engineers व Developers, Internet Protocols के Standards के अनुसार कोई Product या Service Develop करना चाहते हैं, वे लोग इस RFC को Download करते हैं और अपने Develop किए जा रहे Product या Service के Development के लिए उस RFC को Manual Reference की तरह Use करते हैं।

इस प्रकार से जब भी कोई नया Product या Service Develop किया जाता है, उसे RFC के अनुसार ही Develop किया जाता है, फिर भले ही उस Product या Service को दुनियां का कोई भी देश Develop क्‍यों न कर रहा हो।

परिणामस्वरूप Develop होने वाला प्रत्येक Product या Service एक Standard RFC के आधार पर Develop होता है, जिसकी वजह से दुनियांभर के सभी Devices जो कि समान RFC आधारित Product या Service को Use करते हैं, बिना किसी परेशानी के आपस में समान रूप से Connect होकर Communication स्थापित करने में सक्षम हो जाते हैं।