Second Normal Form को समझने के लिए हमें Keys को समझना होता है। एक या एक से ज्यादा Fields के Combination को Key कहते हैं, जिसका प्रयोग किसी Table के किसी एक Record को Identify करने के लिए किया जाता है। इनका Unique होना जरूरी नहीं होता है। Unique Candidate Keys के बारे में हम आगे समझेंगे।
जब एक से ज्यादा Fields को Combined Form में Use करके किसी Key का निर्माण किया जाता है, तो इस प्रकार की Key को Composite Key कहते हैं। इस प्रकार की Keys में सभी Keys का एक दूसरे के नजदीक होना जरूरी नहीं होता है।
हमारे Video-Rental Store के उदाहरण में, Copy Number के साथ Videos के Name का Column ही सबसे स्पष्ट Key है। इन दोनों Fields के Combination को Use करके हम हमारे Entire Stock में स्थित किसी भी Video को Identify कर सकते हैं।
हम देखेंगे कि Video Table के कुछ Non-Key Fields इस Key Combination पर Depend होते हैं, जैसे कि Acquisition की Date व Status जबकि कुछ Non-Key Fields जैसे कि Movie की Release का Year व Length स्वंय Video पर Depend होते हैं।
जब किसी Table के कुछ Attributes उसी Table के Key Combination पर Depend नहीं होते हैं, बल्कि उस Key Combination के किसी एक Field पर ही Depend होते हैं, तो इस प्रकार की Dependency को Partial-Key-Dependency कहा जाता है।
Second Normal Form का नियम कहता है कि किसी भी Table में कोई भी Partial Key Dependencies नहीं होनी चाहिए। Video-Store के Example में Release Date व Movie Length ये दोनों Attributes Entire Key Combination के केवल एक Field Film Name पर ही Depend है।
इसलिए इस Table को Second Normal Form में लाने के लिए हमें इन Fields को किसी दूसरे Table में Shift करना होगा, जिसे हम यहां पर Movies नाम दे रहे हैं। Actors की Table पहले से ही इस Form में है क्योंकि हमने इसे इसी तरह से Create किया है। (Second Normal Form (2NF) – Database Normalization)
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Oracle 8i/9i SQL/PLSQL in Hindi | Page: 587 | Format: PDF