एक Dynamic Web Site कम से कम 6 Techniques के Mixture से बनती है और यदि हम थोडा और गहराई में जाऐं, और Web Site को थोडा सा भी Dynamic व Interactive बनाना चाहें, तो और भी बहुत सारी Technologies अपना Role Play करती हैं। चलिए, थोडा सा इस विषय में भी जान लेते हैं।
जब किसी Web Site को बनाना होता है, तो सबसे पहले उस Web Site के Look को तय किया जाता है कि आखिर वह Web Site बनने के बाद अन्त में User को कैसी दिखाई देगी। चूंकि एक Web Site को अच्छा दिखाने के लिए कई तरह के Colors, Graphics व Fonts आदि Use किए जाते हैं, इसलिए सबसे पहले जरूरत पडती है एक Graphics Designer की।
Graphics Designer सबसे पहले Businessman की जरूरतों को समझते हुए किसी भी Web Site का एक Drawing Create करता है। ये Drawing Create करने के लिए वह विभिन्न प्रकार के Graphics Tools जैसे कि Photoshop, CorelDraw, Illustrator, Fireworks, GIMP आदि Use करता है और Web Site का Logo व विभिन्न प्रकार के अन्य Graphics के साथ Web Site का Layout भी Design करता है और Web Site Owner यानी उस Businessman को दिखाता है, जो Web Site बनवाना चाहता है।
जब Site Owner अपनी Web Site के Design, Layout व Graphics से पूरी तरह से सन्तुष्ट हो जाता है, तब वह Graphics Designer अपने Graphics को Web Site के Front End Designer को देता है।
यदि Graphics Designer को अपने काम का अच्छा ज्ञान हो, तो सामान्यतः वह Front Designer को अपने Graphics के साथ उस Graphics के Slice Create करके भी देता है, जिससे Front Designer को इस बात का पता चल जाता है कि किस Slice को कहां Use करना है।
Graphics Designer का काम यहां समाप्त हो जाता है। अब शुरू होता है Front End Designer का काम। Front End Designer Web Site के Layout के Drawing के आधार पर HTML Coding को Use करते हुए Web Site का Structure Create करता है और इस Structure के साथ CSS को Use करते हुए Web Site की Styling करता है।
Web Site बिल्कुल वैसी ही दिखाई दे, जैसा Graphics Designer ने बनाया है, इसके लिए Front End Designer, Graphics Designer द्वारा दिए गए Graphics Slices को अपने CSS में जरूरत के अनुसार Use करता है और बिल्कुल वही Look HTML + CSS द्वारा Generate करता है, जैसा Graphics Designer ने बनाया है।
कई बार Web Sites में Businessman की इच्छानुसार Animation जैसी सुविधा प्राप्त करनी होती है। इस स्थिति सामान्यतः Flash Designer की जरूरत पडती है, क्योंकि सामान्यतः Animation का काम Flash Designers ही करते हैं। वैसे अब नई Technology के अनुसार HTML5 में JavaScript API द्वारा SVG Technology का प्रयोग करके भी Graphics व Animation Develop किया जाने लगा है।
यदि Front End Designer HTML व CSS के अलावा JavaScript भी जानता हो, तो वह Web Site के Front End को और बेहतर व Interactive बनाने के लिए JavaScript के Codes को Use करता है। सामान्यतः JavaScript के स्थान पर jQuery, Dojo, YUI जैसे किसी Framework को भी Use कर सकता है, जो कि Front End को आसानी से Interactive बनाने के लिए Develop किए गए Frameworks हैं।
जब बात JavaScript की आती है, तब Front End में कई और Technologies जुड जाती हैं। वर्तमान समय में ऐसी Web Sites बहुत ज्यादा बनाई जाने लगी हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए Web Site बार-बार Web Browser में Reload नहीं होता बल्कि Web Browser समान Web Page में ही अलग-अलग Contents को Display करता रहता है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए सामान्यतः AJAX तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
AJAX एक ऐसी तकनीक है, जो कि JavaScript व XML का मिश्रण है, जो कि User की जानकारी के बिना Current Web Page में ही Server से नए Content की Request करता है और आने वाले नए Content को बिना Web Page को फिर से Web Browser में Reload किए हुए User के सामने Render कर देता है।
इसलिए जब हम AJAX (Asynchronous JavaScript and XML) की बात करते हैं, तब हमें XML को भी थोडा बहुत समझना जरूरी हो जाता है, अन्यथा हम AJAX Technology को बेहतर तरीके से Use नहीं कर सकते, जो कि Current Market की Requirement है।
Front End को तेजी से Develop करना किसी भी Web Development Company की मूल जरूरत होता है ताकि जल्दी से जल्दी वह अपने Client से अपनी Develop की गई Web Site का पैसा वसूल कर सके और Fast Front End Development के लिए जरूरी है कि Front End Developer JavaScript द्वारा नहीं बल्कि किसी JavaScript Framework को Use करके Front End को Interactive बनाए।
सामान्यतः यदि बहुत ही ज्यादा जरूरत न हो, तो किसी भी Company में अब Directly JavaScript के Codes Create नहीं किए जाते, बल्कि JavaScript के स्थान पर इसके Frameworks जैसे कि jQuery, MooTools, Dojo, YUI, Prototypes आदि को Use किया जाता है, क्योंकि ये Frameworks जिस काम को 1 Line के Codes से पूरा कर देते हैं, उन्हीं कामों को यदि Pure JavaScript द्वारा पूरा किया जाए तो कम से कम 10 से 20 Lines का Code लिखना पडेगा साथ ही अलग-अलग Web Browsers के लिए अलग-अलग JavaScript Codes लिखने की जरूरत भी पड सकती है, जबकि ये Frameworks Cross Browser Format में Develop किए गए हैं। यानी आपको अलग-अलग Web Browsers के लिए अलग-अलग Framework Codes लिखने की जरूरत नहीं रहती है।
जब हम JavaScript Frameworks की बात करते हैं, तब हमें JavaScript के Object Oriented Concept पर ध्यान देना पडता है और JavaScript के Object Oriented Concept में विभिन्न प्रकार के Data को जिस Format में Use व Access किया जाता है, वह एक Special Format है, जिसे JSON (JavaScript Object Notation) कहा जाता है और एक Front End Designer को इसे भी समझने की जरूरत पडती है।
JavaScript का प्रयोग केवल Web Page को Interactive बनाने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसका विकास तो मूल रूप से Client Side Validation के लिए किया गया था और आज भी JavaScript इस काम को बखूबी करता है। लेकिन जब Client Side Validation की बात आती है, तब बात आती है HTML Forms की और HTML Forms यानी Data, User Input करेगा और चूंकि Data, User Input करेगा, तो हम User द्वारा Input किए जाने वाले Data पर कभी विश्वास नहीं कर सकते।
इसलिए हमें Client Side में ही ये तय करना पडता है कि User, Form के किसी Field में ऐसी कोई Information न Fill करे, जो कि गलत हो या हमारी Web Site के लिए हानिकारक हो सकती हो। फलस्वरूप हमें Client Side के Form के Fields में Entered Text को Validation के लिए Check करने की जरूरत पडती है और Client Side में ये काम Regular Expressions द्वारा किया जाता है।
ये Article इस वेबसाईट पर Selling हेतु उपलब्ध EBook PHP in Hindi से लिया गया है। इसलिए यदि ये Article आपके लिए उपयोगी रहा, तो निश्चित रूप से ये पुस्तक भी आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगी।
PHP in Hindi | Page: 647 | Format: PDF